वास्तु टिप्स: घर में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है उत्तर, जानिए इस दिशा में क्या करें और क्या नहीं?

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वास्तु टिप्स फॉर ईशान कोण: वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का विशेष महत्व है। उत्तर और पूर्व दिशा के बीच की दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा में भगवान का वास होता है.

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घर बनवाते समय यदि वास्तु के अनुसार दिशाओं का ध्यान रखा जाए तो उस घर में रहने वाले लोगों का जीवन सुखी और शांतिपूर्ण रहेगा। वास्तु के अनुसार पूरे घर में सबसे महत्वपूर्ण स्थान ईशान कोण होता है। इस दिशा में थोड़ी सी भी चूक घर के पारिवारिक सदस्यों को परेशान कर देती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ईशान कोण में क्या करें और क्या न करें।

ईशान कोण में क्या करें

  • घर की उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा स्थल या मंदिर बनाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह स्थान भगवान का निवास स्थान है। इसलिए इस स्थान पर की गई पूजा या धार्मिक कार्य का शीघ्र ही पुण्य फल प्राप्त होता है। जिससे घर की सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • ईशान कोण को हमेशा साफ रखना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
  • जल स्रोत के लिए भी ईशान कोण अच्छा होता है। अत: इस स्थान पर कुआँ, बोरिंग, मटका आदि रखना सर्वोत्तम होता है।
  • बच्चों का पढ़ने का कमरा हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। जिससे बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगता है।
  • तुलसी का पौधा या केले का पौधा उत्तर-पूर्व कोने में लगाना शुभ माना जाता है। इसकी भी पूजा करनी चाहिए.

ईशान कोण में क्या न करें?

  • घर की उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए। ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक परेशानियां बढ़ती हैं। जिससे इलाज में जमा राशि खर्च हो जाती है।
  • नवविवाहित जोड़े का शयनकक्ष घर के उत्तर-पूर्व कोने में नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में कलह होने लगती है।
  • उत्तर-पूर्व दिशा में कोई भी भारी वस्तु नहीं रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है।
  • उत्तर दिशा में कभी भी जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए।

अस्वीकरण:  यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि RK किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी का समर्थन नहीं करता है। किसी भी जानकारी या धारणा को लागू करने से पहले किसी संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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