Solar eclipse 2024: कब दिखेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण, भारत में दिखेगा या नहीं? जानिए सारी डिटेल

सूर्य ग्रहण 2024: साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या पर लगेगा, जो वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। लेकिन क्या यह भारत में दिखाई देगा या नहीं आइए जानते हैं।
सूर्य ग्रहण 2024: सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि ग्रहण का सूतक मान्य होगा या अमान्य। साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 08 अप्रैल 2024 को लगा, जिसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका में हुआ। हालाँकि, यह ग्रहण भारत में नहीं देखा गया।
इसके बाद साल 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण अक्टूबर महीने में सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Petru Amavasya 2024) पर लगने वाला है. ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं, यहां सूतक मान्य होगा या नहीं, ग्रहण के कारण इस दिन अमावस्या से जुड़े धार्मिक कार्य किए जा सकेंगे या नहीं वगैरह।
सूर्य ग्रहण 2024 दिनांक और समय
इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 (2 अक्टूबर) को आश्विन माह में सर्व पितृ अमावस्या के दिन लगेगा। सूर्य ग्रहण सुबह 09:13 बजे शुरू होगा और 03:17 बजे खत्म होगा. ग्रहण की कुल अवधि 06 घंटे 04 मिनट रहेगी. सूर्य ग्रहण रात में लगेगा और भारत में दिखाई नहीं देगा। ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या से जुड़े सभी काम किए जा सकते हैं। चूंकि ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक यहां मान्य नहीं होगा।
कहां दिखाई देगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण?
आपको बता दें कि 8 अप्रैल को लगा पहला सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं दिया था और दूसरा सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा. लेकिन ग्रहण दिखाई देगा और आर्कटिक, चिली, पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स और बेका द्वीप सहित दक्षिण अमेरिका के उत्तरी हिस्सों को प्रभावित करेगा। इसके साथ ही 2 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा।
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा.
अक्टूबर का सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे रिंग ऑफ फायर के नाम से भी जाना जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सीधे पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। लेकिन यह सूर्य को पूरी तरह से नहीं बल्कि अधिकांश भाग को ढक लेता है। ऐसे चंद्रमा का बाहरी किनारा सूर्य की रोशनी में वलय की तरह चमकीला दिखाई देता है। इसीलिए इसे रिंक ऑफ फायर भी कहा जाता है।
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