Rochak news : सबसे प्राचीन रेगिस्तान, जहां देवताओं के पैरों के निशान, रात में नृत्य करती हैं परियां !
आपसे यदि कोई कहे कि दुनिया में एक ऐसी जगह है जहां देवी-देवताओं के पैरों के निशान पाए जाते हैं। आप सोच रहे होंगे हां जरूर, देश में कई मंदिर हैं। बता दे की, जहां इस तरह के दावे किए जाते हैं। मगर आज हम आपको एक ऐसे रेगिस्तान के बारे में बताने जा रहे हैं। सदियों से अशांत जंगल। जिस रहस्य से आज तक दुनिया भर के वैज्ञानिक भी पर्दा नहीं खोल पाए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की, दक्षिण पश्चिम अफ्रीका के अटलांटिक तट पर नामीब रेगिस्तान पृथ्वी पर सबसे शुष्क स्थानों में से एक है। यहां लाखों गोलाकार निशान बाकी हैं। यहां खूबसूरत परियां रात में आती हैं और नृत्य करती हैं, इसलिए ऐसे पैरों के निशान बने हैं। कई वैज्ञानिकों का दावा है कि एलियंस यहां आते रहते हैं, इसलिए उनके यूएफओ के संकेत मिलते हैं। स्थान को स्थानीय भाषा में कहते हैं, ऐसा क्षेत्र जहां कुछ भी न हो। वैज्ञानिकों ने बहुत कोशिश की मगर आज तक इसका रहस्य नहीं बता पाए। ये घेरे दीमकों द्वारा बनाए गए हैं, जो मिट्टी से पानी और पोषक तत्वों की खोज करते रहते हैं।
पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ स्थानों में से एक
खुरदुरी रेत की पहाड़ी की तरह दिखने वाला यह रेगिस्तान करीब 81 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। बजरी का यह मैदान तीन देशों में फैला हुआ है। बता दे की, सहारा रेगिस्तान, दुनिया का सबसे बड़ा, केवल 20 से 70 मिलियन वर्ष पुराना है, नामीब रेगिस्तान 55 मिलियन वर्ष पुराना बताया जाता है। एक और खास बात गर्मियों में यहां दिन का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। मगर रातें इतनी ठंडी होती हैं कि जम जाती हैं।
औसत वार्षिक वर्षा केवल 2 मिमी है।
नामीब रेगिस्तान में साल में औसतन केवल 2 मिमी बारिश होती है। कई साल बिना बारिश के बीत जाते हैं। जो खुद को यहां कठोर परिस्थितियों में डालते हैं। कहा जाता है कि शुतुरमुर्ग पानी की कमी को दूर करने के लिए अपने शरीर का तापमान बढ़ा लेते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे की, ओरिक्स बिना पानी पिए पौधों की जड़ों को ही खाकर जीवित रहता है। यह क्षेत्र कई व्हेल कंकालों और लगभग 1,000 जलपोतों से अटा पड़ा है जो पिछली कुछ शताब्दियों में जमा हुए हैं।