Offbeat: गांधारी ने एक साथ कैसे दिया था 100 पुत्रों को जन्म, जानकर आपके भी उड़ जाएंगे होश

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महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध के बारे में हमें भी जानकारी है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि कौरवों का जन्म कैसे हुआ? हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।
एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए। गांधारी ने उनकी खूब सेवा की, जिस से महर्षि खुश हुए और गांधारी को वरदान मांगने को कहा। गांधारी ने 100 पुत्रों का वरदान माँगा। महर्षि ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया।
जब गांधारी को गर्भ ठहरा, तो 2 साल तक ठहरा रहा और कोई बच्चा नहीं हुआ। इस से घबरा कर उन्होंने अपना गर्भ गिरा दिया। गर्भ गिराने पर गांधारी के पेट से लोहे जैसा एक मांस पिण्ड निकला।
महर्षि वेदव्यास ने योगदृष्टि से ये सब देख लिया और वे गांधारी के पास पहुंचे। गांधारी ने उन्हें मांस पिण्ड दिखाया। उन्होंने इस से उन्हें 100 पिंड बनाने को कहा। साथ ही मांस पिण्ड पर जल छिड़कने को कहा.
जल छिड़कने पर मांस पिण्ड के 101 टुकड़े हो गए। महर्षि ने इन टुकड़ों को घी से भरे कुंडों में रखवा दिया। महर्षि ने गांधारी से कहा कि इन कुंडों को दो साल बाद ही खोलना।
दो साल बाद कुंड खोले गए। पहले कुंड से दुर्योधन का जन्म हुआ और फिर एक-एक करके गांधारी के 99 पुत्र और एक कन्या पैदा हुई।
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