Janmashtami 2025: जन्माष्टमी की रात 12 बजे क्यों काटा जाता हैं डंठल वाला खीरा? नहीं हैं इस रहस्य का पता तो....

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इंटरनेट डेस्क। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज देशभर में मनाई जा रही है। श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि में होने की वजह से कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा भी रात 12 बजे की जाती है। वैसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन एक और चीज बेहद खास होती है और वो है आधी रात को खीरा काटना। क्या आप जानते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन आधी रात को डंठल वाला खीरा क्यों काटा जाता है। 

आइए जानते हैं
जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का बहुत खास महत्व माना गया है। जन्माष्टमी की पूजा खीरा काटे बिना पूरी नहीं मानी जाती है। लेकिन क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानते हैं? अगर नहीं तो आपको बता दें, कि खीरा काटने की परंपरा श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी हुई है। दरअसल, जिस तरह बच्चे के जन्म के समय उसकी गर्भनाल काटी जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी की रात खीरे का तना काटा जाता है। हिंदू धर्म में यह परंपरा श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक मानी जाती है। जिसे कई जगह नल छेदन के नाम से भी जाना जाता है।

डंठल वाला खीरा क्यों काटते हैं 
जिस तरह बच्चे के जन्म के समय उसकी गर्भनाल को मां के गर्भ से काटकर अलग किया जाता है, ठीक उसी तरह हिंदू मान्यताओं के अनुसार डंठल वाले खीरे को भगवान श्री कृष्ण का गर्भनाल माना जाता है और खीरे के डंठल को खीरे से काटकर अलग करना, उसे श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने की रस्म के तौर पर मनाया जाता है। जो रात के 12 बजे की जाती है। खीरे का नाल छेदन करने के बाद श्रीकृष्ण आरती होती है। जिसके बाद खीरे को भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है। थोड़ी देर बाद वही खीरा प्रसाद के रूप में भक्तों में बांट दिया जाता है। 

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