क्या आज भी धरती पर भटक रहे हैं महाभारत के अश्वत्थामा? जानें उनसे जुड़े ये रहस्य

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pc: AajTak

'महाभारत' हिंदू धर्म का एक महान प्राचीन संस्कृत काव्य ग्रंथ है। इस किताब से हमें बहुत सी बातें सीखने को मिलती हैं। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जो बातें बताई थीं, उन्हें हम भगवद गीता के रूप में ज़िंदा करने की कोशिश करते हैं। कौरव-पांडव युद्ध, द्रौपदी का चीर हरण.. इसके साथ ही, ऐसी बहुत सी बातें हैं। जिनके बारे में आज भी एक रहस्य है। महाभारत में कुछ ऐसे किरदार हैं जिनके नाम आज भी किसी न किसी वजह से लोगों की ज़बान पर आ जाते हैं। इन्हीं में से एक नाम अश्वत्थामा का है जो कलियुग में भी ज़िंदा हैं और लोगों का मानना ​​है कि अश्वत्थामा आज भी जंगल में भटक रहे हैं। अश्वत्थामा से जुड़े कई सवाल और कन्फ्यूजन हैं जिनके जवाब आज तक नहीं मिल पाए हैं। आखिर महाभारत युद्ध में ऐसा क्या हुआ था जिससे अश्वत्थामा आज भी ज़िंदा हैं? जानिए... सच क्या है...

क्या महाभारत में अश्वत्थामा आज भी ज़िंदा हैं?

द्वापर युग में हुआ महाभारत युद्ध सिर्फ़ कौरवों और पांडवों के बीच का युद्ध नहीं था, बल्कि यह एक धर्म युद्ध था जिसने कलियुग को भी बहुत कुछ सिखाया। इस युद्ध में कई महान योद्धाओं और बहादुरों ने हिस्सा लिया था। अश्वत्थामा महाभारत का एक ऐसा किरदार है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह आज भी ज़िंदा है। कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान कृष्ण से मिले श्राप की वजह से अश्वत्थामा आज भी जंगल में भटक रहे हैं और उनके शरीर पर बड़े-बड़े घाव हैं। अश्वत्थामा से जुड़ी यह रहस्यमयी कहानी आपको हैरान कर देगी। क्योंकि महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा ने एक ऐसी गलती की थी जिसकी सज़ा वह आज तक भुगत रहे हैं।

झूठी अफवाह कि अश्वत्थामा को पांडवों ने मार डाला था?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के बेटे हैं और गुरु द्रोणाचार्य महाभारत युद्ध में कौरवों की तरफ से लड़ रहे थे। युद्ध के दौरान पांडवों ने यह झूठी अफवाह फैला दी कि अश्वत्थामा मर गया है। यह सुनकर गुरु द्रोणाचार्य दुखी हुए और पांडवों ने मौका देखकर उन्हें मार डाला। जब अश्वत्थामा को यह पता चला, तो उसने धोखे से हुई अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए पांडव के बेटों को मार डाला।

भगवान कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप देते हुए कहा...
फिर भगवान कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि वह 3000 साल तक सुनसान जगह पर भटकेगा और उसके शरीर पर ऐसे घाव होंगे जो कभी नहीं भरेंगे। इसी श्राप की वजह से अश्वत्थामा कलियुग में भी भटक रहा है और उसके शरीर से खून की बदबू आती रहती है। हालांकि उसे किसी ने नहीं देखा, लेकिन कई लोगों ने दावा किया है कि अश्वत्थामा आज भी जंगल में भटक रहा है।

क्या विंध्याचल पहाड़ों में अभी भी अश्वत्थामा की तपस्या की जगह है?
खोदरा महादेव मध्य प्रदेश में महू से 12 किलोमीटर दूर विंध्याचल पहाड़ों में है। माना जाता है कि यह अश्वत्थामा की तपस्या की जगह है। माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी यहां आते हैं।

'इन' राज्यों के जंगलों में अश्वत्थामा को देखने की बात
महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद कौरवों की तरफ से सिर्फ तीन योद्धा बचे थे: कृपा, कृतवर्मा और अश्वत्थामा। कृपा हस्तिनापुर आ गए और कृतवर्मा द्वारका चले गए। श्राप से दुखी अश्वत्थामा को व्यास मुनि ने शरण दी थी। आज भी मध्य प्रदेश, उड़ीसा और उत्तराखंड के जंगलों में अश्वत्थामा को देखने की बात होती है।

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