Rochak news : आंखों पर पट्टी बांधकर किताब पढ़ते हैं ये बच्चे, गेंद को छूकर बताते हैं रंग

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आपसे यदि आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ पढ़ने को कहा जाए तो क्या आप पढ़ पाएंगे? शायद नहीं, आप कहेंगे ये संभव नहीं है. बता दे की, देवरिया के कुछ बच्चे न सिर्फ आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ते-लिखते हैं, कुछ लोग इसे छठी इंद्री कहते हैं तो कुछ इसे वरदान मानते हैं। ये बच्चे वास्तव में जो कला सीख रहे हैं उसे 'मिड ब्रेन एक्टिवेशन' या 'थर्ड आई एक्टिवेशन' कहा जाता है।

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देवरिया में ब्राइटर माइंड इंस्टीट्यूट बच्चों को एक कोर्स पढ़ा रहा है

आपकी जानकारी के लिए बता दे की, देवरिया में ब्राइटर माइंड संस्था बच्चों को यह तकनीक सिखा रही है। जिसे आम तौर पर लोग जादू कहते होंगे और आश्चर्य करते होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. बच्चों का दिमाग अन्य बच्चों की तुलना में तेजी से विकसित हो सके। इस संस्था के द्वारा बच्चों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि यदि उनकी आंखों पर पट्टी भी बंधी हो तो भी वे बिना देखे सूंघकर भी किताबें पढ़ सकते हैं।

बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर और सूंघकर पढ़ते हैं

इन बच्चों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है और कैसे ये बच्चे बिना देखे सिर्फ सूंघकर और छूकर ही किताबों को पढ़ रहे हैं। इसे अच्छे से समझने के लिए हमने बच्चों के सामने कुछ गेंदें दीं और बच्चों ने भी बिना देखे गेंद का रंग बता दिया. बता दे की, उन्होंने किताबों को बिना देखे कैमरे के सामने पढ़ना शुरू कर दिया. प्रशिक्षण के दौरान हमने कुछ बच्चों से भी बात की और उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में वे बिना देखे भी वास्तव में पढ़ सकते हैं।

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बिना देखे रंग पहचानना, पढ़ना जैसी गतिविधियाँ

आपकी जानकारी के लिए बता दे की, अंतर्ज्ञान प्रक्रिया में बच्चों को की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों में बच्चे बिना देखे रंग पहचानना, बिना देखे किताब पढ़ना, दिमाग पढ़ना, बिना देखे तस्वीर में रंग भरना, दीवार के पीछे क्या है, ट्रेस करना, घूमना जैसी गतिविधियां करते हैं बिना हाथ की कोई वस्तु।

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इस कोर्स को 5 से 15 साल तक के बच्चे सीख सकते हैं

आपकी उम्र यदि 15 साल से ऊपर है तो यह थोड़ा मुश्किल होगा, मगर ज्यादातर ट्रेनिंग 5 से 15 साल के बच्चों को दी जाती है। चार से पांच दिन के प्रशिक्षण में बच्चा पूरी तरह से प्रशिक्षित हो जाता है।

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