आपने कभी नहीं सुना होगा जयपुर की इन डरावनी जगहों के बारे में

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रेगिस्तान के बीच में मौजूद एक खूबसूरत शहर। जयपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले खूबसूरत पैलेस, विश्व प्रसिद्ध फोर्ट और एक से एक बेहतरीन आलीशान महल का नाम दिमाग में आता है। यह एक ऐसा शहर है जहां हर साल लाखों देशी और विदेशी सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं। आप भी कभी न कभी घूमने के लिए ज़रूर गए होंगे। लेकिन इस शहर में ऐसी कई जगहें भी हैं जिसकी गिनती सबसे डरावनी जगहों में की जाती हैं। इन जगहों पर तो रात को छोड़ दीजिए सूरज ढलते ही कोई भी सैलानी घूमने के लिए नहीं पहुंचा है। इस लेख में हम आपको जयपुर की कुछ डरावनी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आप भी ज़रूर जाना चाहेंगे, तो आइए इस जगहों के बारे में जानते हैं।

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जगतपुरा- शायद आपने इस जगह का नाम अभी तक नहीं सुना होगा, लेकिन जयपुर में मौजूद ये स्थान एक से एक डरावनी कहानियों के लिए फेमस हैं। कहा जाता है कि जब शाम ढलता है तो कोई भी अपने घर से अकेले निकलने से डरता है। इससे पीछे कई वजह है। स्थानीय लोगों का मानना है कि रात के अंधेरे में सफ़ेद साया सड़कों में घूमने रहता है। कुछ लोगों का माना है कि यहां खंडहर भवन से अजीबो-गरीब आवाजे आती हैं। 

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कुलधरा गाँव- कुलधरा गांव की कहानी बेहद दिलचस्प है। लोगों का मानना है कि यह गांव तक़रीबन 171 साल से भी अधिक समय से वीरान पड़ा है। अब इस बात से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इस वीरान जगह शायद ही कोई घूमने के लिए जाए। यहां कोई भी इंसान अकेले जाने की हिम्मत नहीं कर पता है। रात होते ही इस वीरान गांव से महिलाओं की आवाज और चूड़ियों की आवाज सुनाई देती हैं। कहा जाता है कि एक पापी जमींदार के चलते स्थानीय लोगों से गांव को खाली कर दिया था तब से वीरान ही पड़ा है। 

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दिल्ली जयपुर हाईवे- दिल्ली-जयपुर रोड़ भी डरावनी जगहों से एक है। इस हाईवे को लेकर एक नहीं बल्कि कई कहानी है। एक कहानी ये है कि इस हाईवे पर रात के समय एक महिला लाल साड़ी पहनकर घूमते रहती है। दूसरी कहानी ये है कि एक मासूम बच्ची की शादी लगभग तीन साल के लड़के से होने वाली थी, लेकिन लड़की की मां मदद के लिए हाईवे की तरफ दौड़ी और दोनों की मौत हो गई। इस घटना के बाद कोई भी शाम के बाद उस तरफ नहीं जाता है। 

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नाहरगढ़ किला- नाहरगढ़ किला की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। फोर्ट को लेकर यह कहावत है कि जब इसका निर्माण हो रहा था तब कारीगर दीवार बनाकर जाते थे और जब अगले दिन काम पर जाते थे तो दीवार टूटी हुई मिली थी। यहां कई बार हवन भी हुआ लेकिन घटना बंद नहीं हुई। अरावली पहाड़ियों के किनारे पर स्थित होने के कारण रात तो छोड़ दीजिए कई बार दिन के उजाले में भी कोई अकेले जाने की कोशिश नहीं करता है।

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