यहाँ से हुई थी दशहरी आम की शुरुआत

गर्मियों का मौसम आते ही फलों के राजा आम आना शुरू हो जाते हैं। फिर दिन हो या रात बाजार में सिर्फ आम ही आम नजर आते हैं। इसलिए आम को फलों का राजा कहा जाता है और इसे यूं ही राजा नहीं कहा जाता क्योंकि इसका स्वाद ऐसा होता है कि सीजन खत्म होने के बाद भी आम का स्वाद पूरे साल याद रहता है। हालांकि, लोगों को गर्मी बिल्कुल भी पसंद नहीं होती है, लेकिन आम को देखते ही लोग सब भूल जाते हैं। आपको बाजार में कई तरह के आम जैसे- दशहरी आम, अल्फोंसो आम, लंगड़ा आम, चौसा आम, केसर आम आदि आम मिल जाएंगे। लेकिन अगर आपको दशहरी आम खाना पसंद है, तो आज हम आपको भारत के सबसे पुराने दशहरी आम के पेड़ से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिसे 'मदर ट्री' भी कहा जाता है। आइए जानते हैं दशहरी गांव के बारे में जहां से दशहरी आम की शुरुआत हुई थी।
लखनऊ के पास स्थित है दशहरी गांव- जिस गांव की हम बात कर रहे हैं वो गांव उत्तर प्रदेश के सबसे लोकप्रिय शहर लखनऊ के पास स्थित है। कहा जाता है कि इस गांव में मौजूद दशहरी पेड़ काफी पुराना है, जिसकी उम्र करीब 200 साल है। इस पेड़ को लेकर कई लोगों का यह भी मानना है कि ये दशहरी आम को पैदा करने वाला सबसे पुराना और भारत का पहला ट्री है। इसलिए इस गांव को दशहरी नाम से जाना जाता है। बता दें कि इस गांव को देखने लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं और खासतौर पर इस पेड़ के साथ फोटो लेते हैं। अगर आप भी इस पेड़ को देखना चाहते हैं, तो आपको लखनऊ शहर आना होगा।
सालों पुराना है मदर ऑफ मैंगो ट्री- बता दें कि ये पेड़ लखनऊ के पास मौजूद काकोरी स्टेशन से सटे एक गांव में मौजूद है, जिसे लोग दशहरी पेड़ के नाम से जानते हैं। इस पेड़ को लगाने का श्रेय नवाब मोहम्मद अंसार अली को जाता है और नवाब परिवार के वंशज इस पेड़ के मालिक हैं। हालांकि, अब नवाब मोहम्मद अंसार अली इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज भी इस पेड़ के आम नवाब परिवार के घर जाते हैं। वैसे तो इस गांव में और भी आम के पेड़ मौजूद हैं, लेकिन इस पेड़ से दुनिया भर में दशहरी आम पहुंचाया जाता है।
जानिए रोचक तथ्य
-उत्तर प्रदेश में इस गांव के अलावा भी कई ऐसे राज्य हैं, जहां से हर साल आम का उत्पादन करीब 20 लाख टन पैदा किया जाता है। हालांकि, उत्तर प्रदेश का मलिहाबाद दशहरी आम का उत्पादन करने वाला क्षेत्र है।
-कई लोगों के अनुसार प्राचीन समय में मिर्जा गालिब भी इस पेड़ के दशहरी आम का लुत्फ उठाया करते थे।
-मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पेड़ का संरक्षण समीर जैदी के पास है। हालांकि, कहा जाता है कि इस पेड़ के आम को बेचा नहीं जाता क्योंकि ये नवाब के वंशज की संपत्ति है।
आज इस पेड़ को पूरे देशभर से लोग देखने आते हैं और पेड़ के साथ फोटो लेते हैं।