हिंदू धर्म में क्यों रखी जाती है सिर पर चोटी? जान इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण...!!!

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 हिंदू धर्म में बच्चे के पैदा होने से लेकर मरने तक कई सारे संस्कार किए जाते हैं। जिनका अपने अपने समय पर महत्व रहता है जब बच्चा पैदा होता है उसके बाद उसका मुंडन किया जाता है, उसे द्विज कहते हैं इसका मतलब बच्चे का दूसरा जन्म है। इसके अलावा और भी कई प्रकार के संस्कार हिंदू धर्म में होते हैं जिनमें से एक है सिर पर चोटी रखना। वैदिक संस्कृति में सिर पर चोटी रखने पर उसे सीखा छोटी कहते हैं चोटी रखने की यह प्रथा ऋषि मुनि के समय से चली आ रही है, जिसका पालन हिंदू धर्म में अभी तक किया जा रहा है। आप तो विज्ञान ने भी चोटी रखने को लेकर अपना सकारात्मक पक्ष जारी किया है। आइए हम आपको बताते हैं कि क्यों हिंदू धर्म में छोटी रखना जरूरी बताया गया है?

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 क्या कारण है चोटी रखने का-:
 बच्चे का जब मुंडन किया जाता है या फिर घर में किसी बुजुर्ग के निधन पर व्यक्ति अपना सिर मुंडवा आता है उसमें सिर पर थोड़े से बाल रख दिए जाते हैं जिसे चोटी या शिखा कहते हैं। संस्कार कोयल की ऑफिस योजनाओं के समय भी किया जाता है सिर में जहां छोटी रखी जाती है वह जगह सहस्त्रार चक्र कहलाती है। लोगों का ऐसा मानना है कि सहस्त्रार चक्र के नीचे ही मनुष्य की आत्मा का निवास होता है।

विज्ञान के अनुसार-:
 वैज्ञानिकों का यह मानना है कि इस स्थान पर मस्तिष्क का केंद्र होता है इसी स्थान से शरीर के अंगों बुद्धि और मन को कंट्रोल किया जाता है।

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार-:
 ज्योतिषशास्त्र में ऐसा माना जाता है कि जिस की कुंडली में राहु नीच का हो या फिर बुरा असर दे रहा हो तो उसे यह सलाह दी जाती है कि वह माथे पर तिलक लगाये और सिर पर चोटी रखे।

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 जानकार क्या कहते हैं-:
 जानकारों के मुताबिक जिस स्थान पर चोटी रखी जाती है वहां से हमारा मस्तिष्क संतुलन में रहता है। इसे सहस्त्र चार चक्र जागृत रहता है। छोटी रखने से सहस्त्रार चक्र को जागृत करने और बुद्धि मन और शरीर पर कंट्रोल रखने में मदद मिलती है।

 धार्मिक ग्रंथों के अनुसार-:
 धार्मिक ग्रंथों में यह कहा गया है कि सहस्त्रार चक्र का आकार गाय के खुर के समान होता है इसलिए चोटी भी गाय के खुर के बराबर ही रखी जाती है।

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