Vastu tips : घर में किचन बनाने के लिए आग्नेय दिशा को माना जाता है शुभ !

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एक व्यक्ति को बढ़ने और समृद्ध होने के लिए वास्तु शास्त्र सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है। घर हो, ऑफिस हो, दुकान हो या होटल, अगर निर्माण के दौरान वास्तु टिप्स को ध्यान में रखा जाए तो यह निश्चित रूप से आय प्रवाह, स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, आत्मविश्वास और खुशी को प्रभावित करता है। आज हम रसोई घर के निर्माण के बारे में महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स जानेंगे। बता दे की, रसोई घर के लिए सबसे उत्तम स्थान अग्नि कोण अर्थात आग्नेय कोण है। अगर इस दिशा का प्रयोग रसोई घर के लिए किया जाता है तो स्वत: ही अग्नि तत्व प्रबल हो जाता है। अग्नि क्षेत्र नकद तरलता, पारिवारिक स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

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अगर आग्नेय दिशा में रसोई घर बनाना संभव न हो तो वायुवय कोण पर विचार करना चाहिए। जिसके बाद दक्षिण को वरीयता दी जाती है क्योंकि इस दिशा में भी अग्नि तत्व होता है। उत्तर दिशा भी रसोई घर के लिए उपयुक्त क्षेत्र नहीं है क्योंकि यह जल दिशा है इसलिए यह जल और अग्नि का टकराव होगा।

1- बता दे की, रसोई घर में आग और पानी सबसे मूलभूत तत्व हैं। खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व या दक्षिण पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे सभी की और विशेष रूप से घर की महिला की ऊर्जा और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है। यह पाचन क्रिया को भी ठीक करता है।

2- रंग योजना तटस्थ सफेद क्रीम या आइवरी सफेद होनी चाहिए। आप हल्के पीले, नारंगी या आड़ू के लिए भी जा सकते हैं। वास्तु के अनुसार लकड़ी की फिनिश सबसे अच्छी होती है। जिस रंग से बचना है वह काला है।

 

3- आपकी जानकारी के लिए बता दे की, गारबेज बिन को किचन के उत्तर-पश्चिम या पश्चिम में रखना चाहिए। मन में व्याप्त अव्यवस्था साफ हो जाती है और सकारात्मकता जुड़ती है।

4- आपकी गैस के बर्नर अगर बंद हो जाएं तो इससे धन की आमद प्रभावित होती है।

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5- बता दे की, किचन में नल लीक नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे भी हमें आर्थिक नुकसान होता है। बिजली के उपकरण दक्षिण-पूर्व में होने चाहिए, अगर संभव न हो तो अपनी रसोई के पूर्व की ओर। यह आपको मरम्मत से बचने में मदद करता है।

6- किचन का उत्तर और पूर्व हल्का और लोड फ्री होना चाहिए। यदि गैस का चूल्हा पूर्व या आग्नेय दिशा में नहीं मिल रहा है तो इस क्षेत्र में किचन में दीया जलाएं ताकि इस दिशा में अग्नि तत्व मौजूद रहे।

7- पानी का सिंक, अगर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है तो उत्तर या ईशान दिशा में जल से भरा कलश रखें क्योंकि इससे प्रतीकात्मक रूप से सिंक से संबंधित वास्तु दोष दूर हो जाएगा।

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8- बता दे की, जल और अग्नि को एक ही चबूतरे पर न रखें। यह एक बड़ा वास्तु दोष है।

9- बाथरूम के ऊपर या नीचे किचन बनाने से बचें।

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