Railway OHE Poles : रेलवे ट्रैक के पास लगे खंभों पर लिखे इन नंबरों का क्या मतलब होता है? यहाँ पढ़ें पूरी जानकरी

PC: Times Now Navbharat
क्या आपने ट्रेन से यात्रा की है? अगर हाँ, तो आपने रेल की खिड़की से पटरियों के किनारे लगे लोहे के खंभे ज़रूर देखे होंगे। ये खंभे किस काम के होते हैं? क्या आपने कभी सोचा है? इन खंभों पर पीले या गहरे नीले रंग में अंक लिखे होते हैं। क्या आपने कभी उन पर ध्यान दिया है? अगर आपने उन अंकों को देखा भी है, तो वे किस काम के हैं? ये अंक क्या दर्शाते हैं? क्या आप इनके बारे में जानते हैं? आज हम आपको इन्ही के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
रेलवे ट्रैक के किनारे लगे ये खंभे कैटनरी तारों, संपर्क तारों और अन्य विद्युत ओवरहेड (OHE) उपकरणों को सहारा देने के लिए लगाए जाते हैं जो इलेक्ट्रिक ट्रेनों को विद्युत ऊर्जा प्रदान करते हैं। इन खंभों को L मास्ट कहा जाता है। खंभा और उस पर अंकित अंक यह दर्शाते हैं कि कोई विशेष स्टेशन या मुख्यालय कितने किलोमीटर दूर है? इन अंकों में बड़ी संख्या किलोमीटर में दूरी दर्शाती है, जबकि छोटी संख्या यह दर्शाती है कि उस किलोमीटर में कौन सा खंभा है। उदाहरण के लिए: यदि खंभे पर 49/14 लिखा है, तो इसका मतलब है कि वह खंभा 49 किलोमीटर पर 14वाँ खंभा है।
इन अंकों का उपयोग स्टेशन मास्टर एक विशिष्ट पहचान संख्या के रूप में करते हैं। जिससे लोको पायलट, ट्रैक मेंटेनेंस टीम और अन्य रेलवे कर्मचारियों को लोकेशन की पहचान करने में मदद मिलती है। ताकि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में उस जगह का मुख्य लोकेशन पता चल सके और तुरंत मदद पहुँच सके। ये नंबर भारतीय रेलवे के (OHE) विभाग (इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन/इंजीनियरिंग) द्वारा दिए और मेंटेन किए जाते हैं। इनका इस्तेमाल मेंटेनेंस, तार बदलने, दुर्घटना नियंत्रण और निरीक्षण के लिए किया जाता है।
ये नंबर दुर्घटना के बाद मदद पहुँचने में आसानी करते हैं। ये नंबर लोको पायलट और मेंटेनेंस स्टाफ के लिए एक गाइड का भी काम करते हैं। इसलिए, इन्हें रेलवे सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। अगली बार जब आप ट्रेन से यात्रा करें, तो इन नंबरों को देखना न भूलें।