हेल्थ टिप्स: इंटरमिटेंट फास्टिंग करना चाहते हैं तो पहले कर लें ये टेस्ट

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इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग काफी चलन में है। इस प्लान से ज्यादातर लोगों का वजन कम हो रहा है लेकिन इस डाइट प्लान को फॉलो करने से पहले कुछ टेस्ट जरूरी हैं।

हमारे देश में 12 घंटे से लेकर 24 घंटे तक का उपवास आम बात है। कुछ लोग 12 घंटे का उपवास करते हैं, कुछ लोग 24 घंटे का उपवास करते हैं और कुछ लोग इससे भी अधिक। दरअसल, इससे शरीर का शुद्धिकरण यानी डिटॉक्सिफिकेशन (शरीर से अशुद्धियां निकालने की प्रक्रिया) होती है। लेकिन जब इसे कई दिनों तक लगातार करना हो तो सही तरीका न अपनाने से नुकसान हो सकता है।     

 अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं तो कुछ काम हैं जिन्हें करने की जरूरत है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में आपको 16 या 18 घंटे का उपवास करना होता है, इस दौरान आपको पानी के अलावा कुछ नहीं लेना होता है। 16 या 18 घंटे के ब्रेक के बाद आप भोजन ले सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह डाइट प्लान बहुत सफल है क्योंकि यह 16 से 18 घंटे की कैलोरी बर्न करने और भोजन पचाने का समय प्रदान करता है, हालांकि इस डाइट को करने से पहले कुछ परीक्षणों की आवश्यकता होती है। अगर आप ब्लड शुगर के मरीज हैं तो ये डाइट प्लान आपको बीमार बना सकता है. जानिए कहां परीक्षण की आवश्यकता है.

व्रत रखने से पहले करें ये टेस्ट

इस टेस्ट का नाम फास्टिंग कोर्टिसोल है। अगर कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करना चाहता है तो पहले यह टेस्ट कराना फायदेमंद रहेगा। यह परीक्षण शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को दर्शाता है। यह हार्मोन हमारे रक्त में पाया जाता है। यह अधिवृक्क ग्रंथि में बनता है। यह हार्मोन सामान्य होना चाहिए। यह हार्मोन खाद्य पदार्थों से प्राप्त विटामिन, खनिज आदि को ठीक से अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता या घटाता है।

अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज या बीपी से पीड़ित है तो यह टेस्ट उसके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि इससे पता चलेगा कि आपका शरीर इस उपवास के लिए तैयार है। जिन लोगों को माइग्रेन, ब्लड शुगर, हाई बीपी की समस्या है उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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