Health : पत्ता गोभी में मिलने वाला वह कीड़ा जो हमारे दिमाग के अंदर तक पहुंच जाता है जाने इससे होने वाले खतरनाक नुकसान...!!!

cabbage

 वैसे देखा जाए तो पता गोभी की खपत लगातार बढ़ ही रही है। लेकिन भारत में इस सब्जी से लोगों ने दूरियां बना ली है। क्योंकि पत्ता गोभी में एक ऐसा छोटा सा कीड़ा पाया जाता है जो शरीर में कहीं भी पहुंच सकता है। तो हम बहुत ज्यादा बीमार हो सकते हैं। अगर यह हमारे दिमाग तक पहुंच जाए तो बहुत खतरा हो सकता है।


 आपने भी अक्सर ऐसा सुना होगा कि पत्ता गोभी में एक ऐसा कीड़ा पाया जाता है जो हमारे शरीर में कहीं भी घुस सकता है। इसी डर के कारण हजारों लोग पत्ता गोभी खाना छोड़ चुके हैं। वह कैसा कीड़ा है और वह कैसे हमारे दिमाग के अंदर घुस जाते हैं आइए जाने विस्तार से...

patta gobhi

 पत्ता गोभी को इंग्लिश में cabbage और फूल गोभी को इंग्लिश में cauliflower कहते है, लेकिन यह दोनों एक ही प्रजाति की होती हैं। पत्ता गोभी में जो कीड़ा पाया जाता है उसे टेपवर्म या फीताकृमि कहा जाता है। यह कीड़ा हमारी आंतो में जाने के बाद खून के बहाव के साथ ही शरीर के बाकी हिस्सों और दिमाग में पहुंच जाता है। यह बहुत छोटा होता है जो हमें आंखों से दिखाई नहीं देता। यह सब्जी उबालने और अच्छी तरह पकाने से मर सकता है। यह कीड़ा जानवरों के मल में भी पाया जाता है।


 फीता कृमि बारिश के पानी या किसी और कारण से जमीन में पहुंचता है और कच्ची सब्जियों के वजह से हम तक पहुंचता है। हमारे पेट के अंदर जाने के बाद यह कीड़ा सबसे पहले खून के बहाव के साथ नसों के जरिए दिमाग तक पहुंच जाता है। इसका लारवा हमारे मस्तिष्क को गंभीर बीमार कर सकता है।


 इस वीडियो से होने वाला इंफेक्शन टेनिएसिस कहलाता है। हमारे शरीर में जाने के बाद यह कीड़ा अंडे देता है। जिसके कारण शरीर के अंदर घाव बनने लगते हैं। इस कीड़े के तीन प्रकार है (1) टीनिया सेगिनाटा (2) टीनिया सोलिएम (3) टीनिया एशियाटिका। ये हमारे लिवर में जाकर सिस्ट बनाता है, जिसके कारण पस पड़ जाता है। ये हमारी आँख में भी आ सकता हैं।

half cabbage

 यह हमारे पेट के खाने को ही अपना खाना बना लेते हैं। यह जिस आदमी के दिमाग में घुस जाते हैं उसे दौरे पड़ने लगते हैं। शुरू में इसके कोई लक्षण हमें दिखाई नहीं देते लेकिन बाद में सिर दर्द, थकान, विटामिन की कमी होना जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। हमारे दिमाग में अंडों का प्रेशर इतना बढ़ जाता है कि दिमाग काम करना बंद कर देता है। ऐसा बताया जाता है कि दिमाग में कोई भारी चीज घुस जाती है तो उसका अंदर का संतुलन खराब हो जाता है। एक फीता कर्मी की लंबाई 3.5 से 25 मीटर तक हो सकती है। इसकी उम्र 30 साल तक होती है। इस कीड़े के इलाज के लिए दवाएं दी जाती है जिससे कि है मर जाए या फिर इसकी सर्जरी भी कर सकते हैं।


 इससे बचने के लिए डॉक्टर्स का कहना है कि जिन चीजों में यह पाया जाता है  उस चीज को आधा पकाकर नहीं खाना चाहिए। भारत में इसका संक्रमण सामान्य है। भारत मे लगभग 12 लाख लोग न्यूरोसिस्टिसरसोसिस से संक्रमित है, यह मिर्गी के दौरों की खास वजह है में से एक है। इसके लगभग 5000 से ज्यादा प्रजातियां बताई जाती है। लेकिन भारत में इस से होने वाली परेशानी 20-25 साल पहले देखने को मिली है। तब देश के अलग-अलग भागों में लोगों के सिर में तेज दर्द की शिकायत होती थी और वह हॉस्पिटल जाते थे उसके बाद उन्हें मिर्गी की तरह दौरे पड़ने शुरू हुए थे।

 अब बहुत ही जगहों पर पत्ता गोभी की जगह लेट्यूस लीव्स का प्रयोग किया जाता है। इस कीड़े का लारवा पालक, मछली, पोर्क या बीफ में भी पाया जाता है। इसलिए इन चीजों को अच्छे से पका कर खाना चाहिए। एशियाई देशों की तुलना में यूरोपीय देशों में इसका खतरा काफी कम देखा जाता है।

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