40 लाख खर्च कर किन्नर ने बनवाया शिव मंदिर: 35 साल पुराना सपना पूरा करने के लिए किन्नर बबिता बाई ने खुद पैसे जोड़ कर बनवाया शिव मंदिर

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बाड़मेर की एक किन्नर ने 35 साल पहले संजोए सपने को धरातल पर उतार दिया। पूरी जिंदगी की जमा पूंजी 40 लाख रुपए लगाकर शिव भगवान का मंदिर बनाया है। रविवार को रीति रिवाज और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह हुआ।

प्राण प्रतिष्ठा में शहर सहित पूरे जिले के लोगों को न्योता दिया गया था। बड़ी संख्या में लोग इस कार्यक्रम में शामिल भी हुए। बाड़मेर की किन्नर बबीता बाई ने बताया कि बीते एक माह से प्राण-प्रतिष्ठा प्रोग्राम की तैयारी कर रही हूं।

मंदिर निर्माण के लिए जयपुर से 10 लाख रुपए खर्च कर मूर्तियां व श्रृंगार का सामान वे खुद लेकर आई हैं। हमेशा से धर्म व देवी-देवताओं के प्रति आस्था रही है। समय-समय पर राम मंदिर, हिंगलाज माता, माजीसा मंदिर (मालियों की बगीची) सहित अन्य जगह भी लाखों का दान दे चुकी हैं।

प्राण-प्रतिष्ठा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। बबीता बाई की इस पहल का सभी ने स्वागत किया है।

सपना हुआ पूरा

बबीता ने बताया कि उन्होंने 35 वर्ष पहले सपना देखा था कि जब भी उनके पास रुपए आएंगे तब शिव भगवान के पूरे परिवार का मंदिर बनवाएंगी। अब जाकर सपना पूरा हुआ है। खुद के कमाए पैसों से मंदिर के लिए जमीन भी डोनेट की है। तीन दिन तक प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आयोजन किया गया।

किन्नर तारा बाई ने लिया था गोद

किन्नर बबीता बाई का कहना है कि करीब 35 साल पहले गुरु किन्नर ताराबाई ने मुझे गोद लिया था। तब से शहर के कल्याणपुर में रह रही हूं। गुरु किन्नर तारा बाई गरीब लोगों की मदद करने के साथ समाज सेवा करती थी। उस समय यहां पर बबूल की झाड़ियां थीं, लेकिन अब मार्केट बनने के साथ लोगों की सोच में भी काफी चेंज आया है। मेरे आसपास आम लोगों के घर हैं।

किन्नर बबीबा बहन का सपना पूरा होने के बाद आंखे हुई नम।

राम मंदिर में 5 लाख ग्यारह हजार रुपए किए भेंट

बाड़मेर किन्नर समुदाय की गादीपति बबीता बाई त्योहार (होली-दीपावली) या परिवार में नए सदस्य के जन्म पर लोगों के घरों व दुकानों में जाकर एक-एक रुपया जोड़ा था। बबीता बाई ने इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 लाख 11 हजार रुपए की सहयोग राशि भेंट की थी। वहीं, शहर में अलग-अलग समाज के देवी-देवताओं के मंदिरों में सोने के आभूषण भी भेंट किए हैं।

बबीता बाई ने लोगों की सोच को बदला

किन्नर समुदाय के प्रति आम लोगों का नजरिया व सोच आमतौर पर बहुत ज्यादा अच्छी नहीं होती। लेकिन बबीता बहन ने अपने अनूठी पहल से इस सोच को बदला है। कोरोनाकाल में भी गरीब लोगों के लिए मदद के लिए भी बबीता बाई सबसे आगे नजर आई थीं।

पड़ोसी सुरेंद्र कुमार महेता का कहना है कि किन्नर समुदाय होने के बावजूद बबीता बाई ने दिल खोलकर रुपए खर्च किए। मंदिर बनाने से लेकर प्राण-प्रतिष्ठा तक। आदमी सोच कर रह जाता है, लेकिन इन्होंने करके दिखाया है।

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