Ear infection: बारिश में 'जरा बच के' बढ़ सकता कान का संक्रमण, जानें लक्षण और इससे बचने के उपाय

च

मानसून के दौरान रोगाणु और वायरल रोग अपना सिर पीछे कर लेते हैं। इसलिए इस मौसम में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। खासतौर पर कान, नाक, गले के रोग इस दौरान पाए जाते हैं। सर्दी, खांसी, चर्म रोग समेत कान में कई तरह के संक्रमण होते हैं। कान की बीमारी को नजरअंदाज करने से भी कान को बड़ा नुकसान हो सकता है।

्

मानसून के दौरान कान में फंगल इंफेक्शन होना एक आम समस्या है। लेकिन, इसकी उपेक्षा करने या उचित उपचार न मिलने से कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें ईयरड्रम को स्थायी नुकसान भी शामिल है। हमारे कानों में ग्रंथियों में सेरुमेन का उत्पादन होता है और इसकी उपस्थिति एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है।

त

कुछ लोगों के कानों में यह पतली अवस्था में ही रहता है। कुछ कानों में यह थोड़ा सख्त होता है और कुछ में यह अधिक शुष्क और कठोर होता है। सेरुमेन कानों के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा के रूप में कार्य करता है और बाहरी धूल और बैक्टीरिया को आंतरिक कान में प्रवेश करने से रोकता है। लेकिन, जब मानसून के दौरान वातावरण में नमी बढ़ जाती है, तो यह अक्सर नमी को सोख लेती है और फूल जाती है। यह कान नहर में रुकावट का कारण बनता है। इससे कान के बंद होने और कई बार दर्द या खुजली या संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

From Around the web