मानसून में होने वाले डेंगू से बचाव के आयुर्वेद उपाय

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डेंगू एक वायरल मच्छर की बीमारी है जो दुनिया के कई क्षेत्रों में पैदा हो रही है। बारिश के मौसम के दौरान डेंगू के मामले सामने आते हैं। वायरस से फैलने वाली बीमारी से भी मृत्यु हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डेंगू या गंभीर डेंगू का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। गंभीर डेंगू से जुड़े रोग की प्रगति का शीघ्र पता लगाने से मृत्यु दर कम हो सकती है। आयुर्वेद ने डेंगू बुखार से निपटने के लिए विभिन्न उपायों को  बताया  है। उन हर्बल उपचारों पर एक नज़र डालें जो  घातक बीमारी के इलाज कर सकते हैं

कालमेघ- कालमेघ कई औषधीय उपयोगों के साथ एक कड़वा स्वाद वाली जड़ी बूटी है। यह वैज्ञानिक रूप से डेंगू वायरस के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है।

गुडुची- गिलोय, गुडुची या टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया के रूप में जाना जाता है, यह डेंगू के कारक  के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करते है। डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी एक गिलास पानी में घोलकर गुडूची का सेवन कर सकते हैं।

नीम- नीम अपने एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। इस औषधीय डेंगू बुखार के खिलाफ भी प्रभावी उपयोग है। इसके पौधों से पत्तियों का अर्क चार डेंगू वायरस प्रकारों में से एक के विकास को रोकता है।
 

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