महिलाओं से जुड़ी 6 स्वास्थ्य समस्याएं जिनमें गर्भाशय निकालना हो सकता है जरूरी! एक्सपर्ट की राय जानें

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हिस्टेरेक्टॉमी, यानी गर्भाशय को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने की प्रक्रिया, महिलाओं में सबसे आम सर्जरी में से एक है। यह कभी किसी गंभीर बीमारी का अंतिम उपाय हो सकता है, तो कभी एक व्यक्तिगत निर्णय। यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि किन परिस्थितियों में यह सर्जरी आवश्यक हो सकती है और इसका शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।

मणिपाल अस्पताल, गोवा की एसोसिएट कंसल्टेंट (प्रसूति एवं स्त्री रोग) डॉ. मनसा जी वी से मिली जानकारी के आधार पर, इस लेख में हिस्टेरेक्टॉमी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की जा रही हैं।

कब आवश्यक हो सकती है हिस्टेरेक्टॉमी?

डॉक्टर कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में गर्भाशय निकालने की सलाह देते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

1. गर्भाशय में फायब्रॉयड्स (Uterine Fibroids)

गर्भाशय की दीवारों में बनने वाले फायब्रॉयड्स मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, पेट के निचले हिस्से में दर्द और भारीपन का कारण बन सकते हैं। जब दवाओं या अन्य गैर-सर्जिकल उपायों से राहत नहीं मिलती, तो हिस्टेरेक्टॉमी एक विकल्प बन सकती है।

2. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)

इस स्थिति में गर्भाशय की अंदरूनी परत की कोशिकाएं उसके बाहर बढ़ने लगती हैं, जिससे तेज दर्द, अनियमित मासिक धर्म और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जब अन्य उपचार कारगर नहीं होते, तो हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव दिया जाता है।

3. यूटेरिन प्रोलैप्स (Uterine Prolapse)

जब गर्भाशय कमजोर मांसपेशियों के कारण नीचे खिसक जाता है और योनि के अंदर आ जाता है, तो इसे यूटेरिन प्रोलैप्स कहते हैं। इससे असहजता, पेशाब से जुड़ी समस्याएं और यौन संबंधों में कठिनाई हो सकती है। जब दूसरे उपचार असफल हो जाते हैं, तो गर्भाशय हटाने की जरूरत पड़ सकती है।

4. स्त्री रोग संबंधी कैंसर (Gynaecological Cancer)

अगर महिला को गर्भाशय, सर्विक्स या अंडाशय (ओवरी) का कैंसर हो, तो आमतौर पर हिस्टेरेक्टॉमी एक महत्वपूर्ण उपचार के रूप में अपनाई जाती है। सर्जरी की जटिलता इस पर निर्भर करती है कि कैंसर किस स्टेज पर है।

5. असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव (Abnormal Uterine Bleeding)

यदि किसी महिला को लंबे समय तक अत्यधिक रक्तस्राव होता है और हार्मोनल थेरेपी या अन्य उपाय कारगर नहीं होते, तो गर्भाशय हटाने की सिफारिश की जा सकती है।

6. पुराना पेल्विक दर्द (Chronic Pelvic Pain)

यदि लगातार पेल्विक दर्द हो और इसका कारण गर्भाशय में कोई असामान्यता हो, तो हिस्टेरेक्टॉमी को अंतिम समाधान के रूप में देखा जा सकता है।

हिस्टेरेक्टॉमी के प्रकार

यह सर्जरी विभिन्न प्रकार की हो सकती है, जो महिला की बीमारी और उसकी गंभीरता पर निर्भर करती है:

1. संपूर्ण हिस्टेरेक्टॉमी (Total Hysterectomy)

इस प्रक्रिया में पूरा गर्भाशय और सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) को हटा दिया जाता है। आमतौर पर यह तब किया जाता है, जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं।

2. आंशिक हिस्टेरेक्टॉमी (Subtotal Hysterectomy)

इसमें गर्भाशय का ऊपरी भाग हटा दिया जाता है, लेकिन सर्विक्स को बरकरार रखा जाता है।

3. रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी (Radical Hysterectomy)

यह प्रक्रिया कैंसर के मामलों में अपनाई जाती है, जिसमें गर्भाशय, सर्विक्स, आसपास के ऊतक और कुछ स्थितियों में योनि का एक भाग भी निकाल दिया जाता है।

4. बायलेटरल सैल्पिंगो-ओफोरेक्टॉमी (Hysterectomy with Bilateral Salpingo-Oophorectomy)

यह तब किया जाता है, जब कैंसर या गंभीर एंडोमेट्रियोसिस हो। इसमें गर्भाशय के साथ-साथ दोनों अंडाशय (ओवरी) और फैलोपियन ट्यूब भी हटा दी जाती हैं।

गर्भाशय निकालने के बाद स्वास्थ्य पर प्रभाव

हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिलाओं को कई तरह के शारीरिक और मानसिक प्रभावों का अनुभव हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

1. मेनोपॉज (Menopause) का प्रभाव

यदि सर्जरी के दौरान अंडाशय भी हटा दिए जाएं, तो महिला को समय से पहले मेनोपॉज का अनुभव हो सकता है। इससे हॉट फ्लैश, मूड स्विंग्स और कामेच्छा में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस स्थिति में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) मददगार साबित हो सकती है।

2. भावनात्मक बदलाव (Emotional Impact)

गर्भाशय हटाने के बाद कई महिलाएं भावनात्मक रूप से असहज महसूस कर सकती हैं, खासकर वे महिलाएं जो अभी मां नहीं बनी हैं। मानसिक तनाव को कम करने के लिए परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है।

3. हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes)

चाहे अंडाशय न भी हटाए जाएं, फिर भी महिलाओं में कुछ हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से इस बारे में पूरी जानकारी लेना जरूरी होता है।

4. हड्डियों की सेहत (Bone Health) पर प्रभाव

एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से हड्डियों की कमजोरी और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। कैल्शियम और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लेकर इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

5. यौन जीवन पर प्रभाव (Sexual Health)

कुछ महिलाओं को हिस्टेरेक्टॉमी के बाद यौन संतुष्टि में सुधार महसूस हो सकता है, विशेष रूप से यदि वे पहले दर्द या असुविधा का सामना कर रही थीं। वहीं, कुछ महिलाओं में यौन इच्छा में कमी देखी जा सकती है।

6. पीरियड्स का समाप्त हो जाना (No More Periods)

गर्भाशय हटाने के बाद महिलाओं को मासिक धर्म से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव और पीरियड्स के दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है।

निष्कर्ष

हिस्टेरेक्टॉमी कई महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण और जीवन बदलने वाली प्रक्रिया हो सकती है। यह गंभीर बीमारियों से राहत देने का एक प्रभावी तरीका है, लेकिन इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझना जरूरी है। यदि आपको इस सर्जरी पर विचार करना पड़ रहा है, तो किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लेकर सही निर्णय लें।

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