स्कूल में बच्चे के एडमिशन से पहले ध्यान रखें ये बातें

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जिंदगी के बड़े निर्णयों में से एक होता है, बच्चे के लिए सही स्कूल का चुनाव। और ये निर्णय सही साबित होता है तो बच्चे के उज्जवल भविष्य की गारंटी हो जाती है, लेकिन क्या आप जानते है, आपका एक गलत निर्णय बच्चे का भविष्य बिगाड़ भी सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि बच्चे के लिए यही स्कूल का चुनाव करने से पहले कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए।

सबसे पहले सवाल ये उठता है कि किन नियमों को आधार बनाकर स्कूल चुना जाए? तो आपकी इस शंका का समाधान करने के लिए इस लेख में हम आपको स्कूल चुनने के लिए कुछ जरूरी टिप्स देने जा रहे है, जिनको अपनाकर आप अपने बच्चे के लिए बेस्ट स्कूल चुन सकते हैं। दरअसल जिस स्कूल में आप बच्चे के एडमिशन के लिए जा रहे हैं, उसके बारे में स्कूल से जुड़े लोग तो हमेशा अच्छी-अच्छी बातें ही कहेंगे। लेकिन असल सच्चाई वो ही पेरेंटस बता पाएंगे, जिनके बच्चे पहले से उस स्कूल में पढ़ रहे है, जिसे आपने चुना है। इस दौरान जहां कुछ पेरेंटस पॉजिटिव फीडबैक देंगे, वहीं कुछ पेरेंट्स स्कूल की कमियां बताते हुए नैगेटिव फीडबैक देंगे। देखा जाए तो यही वो कमियां होंगी, जिस पर ध्यान देकर आपके बच्चे के एडमिशन से जुड़ा महत्वपूर्ण निर्णय ले पाएंगे। जैसे कि-

महंगा है लेकिन जरूरी नहीं कि अच्छा भी हो कई पेरेंटस स्कूल के एजुकेशन लेवल को फीस के आधार पर चुनते है, कि वो आपसे खर्चा कितना करा रहा है। इसलिए अगर आप शहर का वो स्कूल ढूंढ कर एडमिशन कराने की सोच रहे हैं, जो सबसे महंगा है तो आप गलत हैं। सोचिए जरा, अगर स्कूल में स्टाफ और टीचर अपने काम में एक्सपर्ट नहीं हैं तो वे आपके बच्चे को क्या सिखा पाएंगे। इसलिए महंगे स्कूल की बजाय सिर्फ अच्छे स्कूल को ढूंढने की कोशिश में रहिए। जहां आपके बच्चे के बेस को मजबूत करने के लिए मेहनत की जाए।

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पढ़ाई के साथ एक्सट्रा करिक्युलर एक्टिविटी भी हो जरूरी कहते है बच्चा बचपन में जो भी चीजें सीख और समझ लेगा, उसे पूरी जिंदगी वो बातें याद रहेंगी। इसलिए स्कूल का चुनाव करते समय एक ऐसे स्कूल को चुनिए, जहां पढ़ाई के साथ एक्सट्रा करिक्युलर एक्टिविटी पर भी पूरा जोर दिया जाता हो। दरअसल जब वो बचपन में सारे गेम्स, आर्ट, डांस और ड्रामा जैसी एक्टिविटी से रूबरू हो लेंगा तो किसी न किसी में तो उसका इंटरेस्ट बढ़ेगा ही। जो बच्चे ओवरऑल डवलेपमेंट में सहायक होगी। और इसी रुचि को अगर बड़े होने तक बनाए रखा जाए तो वो बच्चे के लिए बेस्ट कैरियर ऑप्शन हो सकता है।

कितने बच्चों पर कितने टीचर स्कूल में बच्चे कितना और कैसे पढ़ पाएंगे, ये इस बात पर निर्भर करता है कि 1 टीचर कितने बच्चों को पढ़ाता है? दरअसल एक टीचर जितने ज्यादा बच्चों को पढ़ाएगा, हर बच्चे को उतना ही कम समझ आएगा। इसलिए एडमिशन से पहले स्कूल में ये जरूर पता करें कि वहां एक टीचर कितने बच्चों को पढ़ाता है।

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हाईजिनिक स्कूल कोरोना के बाद से साफ-सफाई की अहमियत हर किसी ने समझली है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि जहां बच्चा दिन का अधिकांश समय बिताता है, वहां साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए। इसके लिए टीचर और स्टाफ के हाइजीन लेवल पर नजर रखी जा सकती है। खिलौने या बच्चों के इस्तेमाल में आने वाली दूसरी चीजें भी साफ हैं या नहीं, ये देखना भी जरूरी हो जाता है। इसके अलावा पानी पीने की जगह और टॉयलेट में हाईजिन मेंटेन की हुई है या नहीं, उस पर जरूर ध्यान दें।
 

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