“या तो पानी बहेगा या खून” – सिंधु जल संधि पर भारत की सख्ती से बौखलाए बिलावल भुट्टो ने दी भड़काऊ धमकी

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस ऐतिहासिक संधि की समीक्षा करने का फैसला किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने उकसाने वाला बयान देते हुए कहा, "अब इस दरिया से या तो पानी बहेगा या खून।"
बिलावल का यह बयान दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और गहरा करता नजर आ रहा है।
भारत का निर्णायक रुख
भारत सरकार ने पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से सिंधु जल संधि में संशोधन की सूचना दे दी है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा को पत्र के माध्यम से बताया कि भारत अब इस संधि की कुछ शर्तों में बदलाव चाहता है। यह कदम भारत के उस नए दृष्टिकोण को दर्शाता है जिसमें वह किसी भी मोर्चे पर झुकने को तैयार नहीं है।
बिलावल की धमकी और बौखलाहट
एक जनसभा को संबोधित करते हुए बिलावल ने कहा, “भारत की आबादी भले ही हमसे ज्यादा हो, लेकिन पाकिस्तान के लोग जांबाज़ हैं। हम हर मोर्चे पर लड़ेंगे—चाहे सीमा हो या देश के भीतर। सिंधु पाकिस्तान की है और इसे कोई छीन नहीं सकता।”
“میں آپ سب کو مبارک باد پیش کرتا ہوں کہ جس مقصد کیلئے پاکستان پیپلز پارٹی کے کارکن احتجاج کررہے تھے، شاہراہوں سے لے کر ایوان تک کہ ہمیں سندھو پر نئی نہریں منظور نہیں ہیں۔ کل وزیر اعظم سے ملاقات میں یہ بات طے ہوچکی کہ آپ کی مرضی کے بغیر کوئی نئی نہر نہیں بنے گی۔ یہ پرامن جمہوری… pic.twitter.com/I8sF0IFLXh
— PPP (@MediaCellPPP) April 25, 2025
बिलावल का यह बयान पाकिस्तान के भीतर बढ़ते दबाव और भारत की रणनीति से उनकी घबराहट को साफ दर्शाता है।
सिंधु जल संधि क्यों है अहम?
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का आधार है। इसमें सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का जल पाकिस्तान को जबकि रावी, ब्यास और सतलज का जल भारत को आवंटित किया गया था। अब जब भारत इसकी समीक्षा कर रहा है, तो पाकिस्तान के कृषि और जल आपूर्ति पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
भारत का संदेश स्पष्ट: आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
भारत ने सिंधु संधि की समीक्षा कर पाकिस्तान को यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अब आतंकवाद के हर हमले का जवाब हर स्तर पर दिया जाएगा—चाहे वह कूटनीतिक हो या जल संसाधनों से जुड़ा।
आगे क्या होगा?
जहां भारत अपने कड़े कदमों के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है, वहीं बिलावल जैसे नेताओं के बयान दर्शाते हैं कि इस बार भारत की "वॉटर स्ट्राइक" ने पाकिस्तान को असहज कर दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान क्या प्रतिक्रिया देता है और भारत इस रणनीति को किस दिशा में ले जाता है।