ये है भारत का सबसे ऊंचा झरना, दुनिया में हैं चौथा नंबर

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इस बार आप दुनिया का चौथा और भारत का सबसे ऊंचा झरना देखना जा सकते हैं। यह झरना मेघालय में स्थित है। जिसका नाम नोहकलिकाई है। इस झरने के पीछे एक दुखद कहानी भी है। वैसे भी मेघालय बेहद खूबसूरत प्रदेश है और यहां सैलानियों के घूमने के लिए कई टूरिस्ट डेस्टिनेशंस हैं। मेघालय की प्राकृतिक खूबसूरती सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। यहीं यह झरना स्थित है, जो बेहद आकर्षक और भव्य है. खासी हिल्स में स्थित यह झरना 340 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और प्रकृति के अद्भुत दृश्य को प्रस्तुत करता है। 

नोहकलिकाई झरने को देखने के लिए आप सड़क, हवाई और रेल मार्ग के जरिए जा सकते हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा शिलांग है। इसी तरह यहां जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी है.अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आप चेरापूंजी तक जा सकते हैं जो शिलांग से 53 किमी दूर है. शिलांग से चेरापूंजी के लिए आपको बस मिल जाएगी। चेरापूंजी से आप नोहकलिकाइ झरने के लिए टैक्सी ले सकते हैं। कहा जाता है कि इस जलप्रपात का नाम ‘का लिकाई’ नाम की महिला की दुखद कहानी को बयां करता है। का लिकाई नाम की महिला ने अपने पति की मौत के बाद एक दूसरे पुरुष से शादी की थी. अपने बच्चे के लालन-पालन के लिए का लिकाई को कुली तक बनना पड़ा। 

अपनी बेटी की परवरिश में ज्यादातर वक्त देने के कारण वह अपने पति को उस तरह से प्यार नहीं दे पाती थी. जिस वजह से उसके पति के मन में ईष्या का भाव जाग्रत हो गया। वह अपनी ही बेटी से घृणा करने लगा। जब एक महिला काम कर रही थी उसके दूसरे पति ने अपनी बेटी को मार डाला. इतना ही नहीं उसके पति ने अपनी बेटी को मारकर उसका मांस पकाकर अपनी पत्नी को परोस दिया। खाना खाने के बाद महिला अपनी बेटी को देखने के लिए बाहर गई तो उसको सुपारी की टोकरी में बेटी की उंगुलियां मिली। जिसे देखकर वह काफी दुखी हो गई और उसी पहाड़ की चोटी से कूद गई जहां झरना बहता है. इसी वजह से इस झरने का नाम का ‘नोह का लिकाई’ पड़ा। 

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