ऐतिहासिक घटना- भारत में पहली बार पुरुषों से ज्यादा हुई महिलाओं कि संख्य़ा,, NFHS के सर्वे में आया परिणाम

महिला पॉपुलेशन

भारत में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। यह 2005-06 में तीसरे NHFS सर्वेक्षण में 1000-1000 के बराबर है। स्वयं के बैंक खाते खोलने वाली महिलाओं की संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। आंकड़े कहते हैं कि भारत में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि प्रजनन दर में कमी आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को आंकड़े जारी किए। बता दें कि एनएफएचएस एक बड़े पैमाने पर सर्वे है। जिसमें हर परिवार के सैंपल लिए जाते हैं।

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इस आंकड़े से साफ है कि भारत में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। जबकि इससे पहले पहली शर्त कुछ अल्लाह की थी। 1990 में, प्रति 1000 पुरुषों पर केवल 927 महिलाएं थीं। यह ठीक उसी तरह है जैसे वर्ष 2005-06 में तीसरे एनएचएफएस सर्वेक्षण में 1000-1000। 2015-16 में चौथे सर्वेक्षण में यह आंकड़ा फिर से गिरा। 1000 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या 991 थी। लेकिन पहली बार महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ दिया है। 78.6 प्रतिशत महिलाएं अपना बैंक खाता संचालित करती हैं। 2015-16 में यह आंकड़ा 53 फीसदी था। फिर 43.3 महिलाएं हैं जिनके पास संपत्ति है। जहां 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4 प्रतिशत था, वहीं मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता उपायों वाली महिलाओं की संख्या 57.6 प्रतिशत से बढ़कर 77.3 प्रतिशत हो गई है। हालांकि एनीमिया बच्चों और महिलाओं में एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। 15 से 49 वर्ष की आयु के 67.1 प्रतिशत बच्चे और 57 महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। 

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देश में कुल प्रजनन दर में कमी आई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के दूसरे चरण के अनुसार, एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में जन्म लेने की औसत संख्या 2.2 से गिरकर 2 हो गई है। गर्भनिरोधक उपयोग की दर 54 प्रतिशत बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को आंकड़े जारी किए। यह इंगित करता है कि देश की जनसंख्या स्थिर हो रही है। 2.1 कुल प्रजनन दर को प्रतिस्थापन दर के रूप में देखा जाता है। हालांकि यह जनसंख्या वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। 2015 से 2016 तक किए गए सर्वेक्षण के चौथे संस्करण में देश में कुल प्रजनन दर 2.2 थी। फिर 5वें चरण में 2019 से 2021 के बीच यह सर्वे किया गया है। यह जनसंख्या नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019-20 के दौरान एकत्र किए गए सर्वेक्षण के आंकड़े एनएफएचएस-5 में एकत्र किए गए थे। इस दौरान करीब 6.1 लाख घरों का सर्वे किया गया है। 

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