Health Tips : दिमाग से जुडी बीमारी अल्जाइमर का यह है सटीक इलाज, US वैज्ञानिको ने सर्वे में किया दावा

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Alzheimer's will get accurate treatment:
 कहा जाता है कि अधिक उम्र होने पर किसी भी बीमारी का इलाज बहुत मुश्किल से किया जाता है। लेकिन यह बात भी सच है कि समय पर बीमारी का पता लगाने से हम उसको बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं। आमतौर पर बुजुर्गों पर होने वाले दिमाग की बीमारियां अल्जाइमर एक तरह की बीमारी है। जो कि बढ़ती उम्र के साथ आती है। यह बढ़ती उम्र के न्यूरो सिस्टम पर भारी प्रभाव डालती है। इससे हमारे याद रखने की क्षमता कम हो जाती है। इस बीमारी की पहचान और इसका इलाज की खोज अमेरिका के ओहायो केस वेस्टर्न रिसर्च यूनिवर्सिटी के रिसर्च में एक स्टडी में महत्वपूर्ण लिंक मिला है। उन्होंने कहा है कि विकृति वाले ट्रेन औरत टाऊ नाम के एक स्पेसिफिक टीम के तेजी से बढ़ने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
 खोज करने वालों का दावा है कि निष्कर्ष के आधार पर अल्जाइमर ज्यादा इलाज खोजने में मदद मिल सकती है। किस खोज का निष्कर्ष साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जनरल मैं प्रकाशित किया गया है।

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 क्या कहते हैं जानकार:
 वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर जीरी सफर के मुताबिक पहली बार उन्होंने टेस्ट ट्यूब में टाउ प्रोटीन के व्यवहार और रोगियों के क्लीनिक समय में संबंध बनाए। आमतौर पर यह कहा गया है कि अल्जाइमर कोई बीमारी नहीं है। और इस बीमारी के अलग-अलग मामलों में अलग-अलग जैविक कारण होते हैं। इसलिए उन्हें अलग-अलग बीमारियों के रूप में देखा जाता है। इस बीमारी को अलग-अलग भागों में बांटा जाएगा तभी बताया जा सकता की किस मरीज में अल्जाइमर की सही स्थिति क्या है।
 

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 प्रोफेसर जीरी सफर:
 प्रोफेसर जीरी का कहना है कि उनके स्टडी के मुताबिक अल्जाइमर रोग से पीड़ित मैं धीरे-धीरे आज से 10 साल में हास  दिखता है। जबकि यह रोज 10 से 30% लोगों में तेजी से बढ़ रहा है। 1 मरीजों के सफर और उनके सहयोगियों ने देखा है  की फ्रीऑन प्रोटीन गलत तरीके से बढ़ रहा है। महा दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है। आपको बतादें की प्रेयोने  एक वायरस की तरह संक्रमण प्रोटीन है।
 स्टडी में क्या निकला:
 खोज के मुताबिक पियून की स्टडी अल्जाइमर  नर्वस सिस्टम को कमजोर करता है। कमजोरी के कारण होने वाली अन्य बीमारियों को समझने में मदद मिलती है। अब तक रिसर्च के मुताबिक 30% मामलों को समझा जा सकता है। लेकिन अभी भी 70% मामलों के बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता।
 खोज के मुताबिक पीड़ित रहे 40 मृत लोगों के दिमाग की स्टडी की गई है। इनमें से आधे लोगों को नुकसान धीरे-धीरे हुआ है बल्कि कुछ लोगों को 3 साल में ही बड़ा नुकसान हुआ है। खुश है यह भी पता लगाया गया है कि संक्रमण आज तेजी से हुआ उनमें ताऊ प्रोटीन करण का आकार अलग था।

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