''गुटखा: एक चुटकी में शरीर को अंदर से खोखला करने वाली आदत''

नई दिल्ली: गुटखा आजकल हमारे देश में लाखों लोगों की आदत बन चुका है। सड़कों और गलियों में इसके थूक के निशान आम बात हो गई हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप इसे मुंह में डालते हैं, तो आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है? यह छोटा सा पाउच, जो कुछ पल की ताजगी देता है, असल में आपके शरीर को अंदर से तबाह कर रहा है। आइए जानते हैं कि गुटखा आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
मुंह में आते ही शुरू होता है असर
जैसे ही आप गुटखा मुंह में डालते हैं, उसका तीखा और नमकीन स्वाद जीभ पर फैल जाता है। इसमें मौजूद तंबाकू, चूना और सुपारी आपके मुंह में लार बनने लगते हैं। यह लार पेट तक पहुंचकर शरीर को जागरूक कर देती है। शुरुआत में तो आपको हल्का नशा और ताजगी का अनुभव हो सकता है, क्योंकि इसमें निकोटिन होता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
पेट और दिल पर पड़ता है असर
गुटखा केवल मुंह तक सीमित नहीं रहता। जब आप इसे चबाते हैं और उसकी लार निगलते हैं, तो यह आपके पेट में पहुंच जाती है। गुटखे में मौजूद जहरीले तत्व आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण पेट में जलन, गैस, और कभी-कभी उल्टी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसके बाद ये तत्व खून में मिलकर दिल तक पहुंचते हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। रोजाना गुटखा खाने से दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
दांतों और मुंह पर असर
गुटखा आपके दांतों के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है। इसका लगातार सेवन करने से दांत पीले पड़ने लगते हैं और उनमें सड़न शुरू हो जाती है। सुपारी और चूने के कारण आपके मसूड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे खून आने की शिकायत हो सकती है। सबसे खतरनाक बात तो यह है कि गुटखा मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण बन सकता है। गालों के अंदर छोटे-छोटे घाव बनने लगते हैं, जो समय के साथ बढ़कर गंभीर रूप ले सकते हैं।
फेफड़ों और सांसों पर असर
गुटखा सीधे मुंह में डाला जाता है, तो लोग सोचते हैं कि इसका फेफड़ों से क्या लेना-देना? लेकिन असल में, गुटखे में मौजूद जहरीले तत्व खून के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं। इसके कारण सांस लेने में दिक्कत और खांसी की समस्या बढ़ने लगती है। जो लोग गुटखा खाने के साथ सिगरेट या बीड़ी भी पीते हैं, उनके फेफड़े और भी जल्दी खराब हो जाते हैं, और धीरे-धीरे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
दिमाग और नसों पर प्रभाव
गुटखा में मौजूद निकोटिन आपके दिमाग पर भी बुरा असर डालता है। शुरुआत में यह तनाव को कम करने का काम करता है, लेकिन लंबे समय तक इसके सेवन से आपकी याददाश्त कमजोर हो जाती है। आप चिड़चिड़े हो जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं। यह नसों पर भी असर डालता है, जिससे हाथ-पैरों में झनझनाहट या कमजोरी महसूस हो सकती है।
बचाव और जागरूकता
गुटखा के नुकसान को जानने के बाद सवाल यह उठता है कि इसे कैसे छोड़ा जाए? यह लत बन जाती है, लेकिन हिम्मत और परिवार के सहयोग से इसे छोड़ा जा सकता है। डॉक्टर की सलाह, स्वस्थ जीवनशैली और छोटे-छोटे कदम आपकी सेहत को ठीक कर सकते हैं। गुटखा छोड़ना सिर्फ आपके लिए ही नहीं, बल्कि आपके परिवार के लिए भी जरूरी है। यह छोटा सा कदम आपकी जीवन को नया मोड़ दे सकता है। तो आज से ही सोचिए और इस जहर को अलविदा कह दीजिए।