सालों की रिसर्च के बाद टाइप-1 डायबिटीज की पहली दवा को मिली मंजूरी
पूरी दुनिया में डायबिटीज के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं। इसमें टाइप-1 डायबिटीज भी तेजी से फैल रहा है, लेकिन अब इस बीमारी के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है. अमेरिका में ड्रग नियामकों ने टाइप 1 मधुमेह की प्रगति को रोकने के लिए "गेम-चेंजिंग" इम्यूनोथेरेपी दवा को मंजूरी दे दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि टेप्लिजुमाब दवा इस बीमारी के इलाज में मील का पत्थर साबित होगी।
यह दवा इंसुलिन बनाने वाली अग्न्याशय की कोशिकाओं पर हमले को रोकेगी और बीमारी के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करेगी। इससे लोगों के शरीर में मधुमेह के विकास में देरी होगी। दुनिया भर में लगभग 8.7 मिलियन लोगों को टाइप 1 मधुमेह है। ब्रिटेन में 400,000 लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, जिनमें 29,000 से अधिक बच्चे शामिल हैं। टाइप 1 मधुमेह में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे शरीर की कुछ कोशिकाएं अग्न्याशय पर हमला करती हैं और इसे इंसुलिन का उत्पादन करने से रोकती हैं।
दवा पर हुए शोध से पता चला है कि टाइप-1 मधुमेह के उच्च जोखिम वाले लोगों में दवा का उपयोग तीन साल तक मधुमेह के विकास को रोकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह देरी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर उन युवाओं के लिए जिन्हें मधुमेह नहीं है। इंसुलिन रोजाना लेना चाहिए। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह दवा रोग को नियंत्रित कर सकती है। जिससे लोग लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं। शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने से अन्य बीमारियों का खतरा भी कम होगा।