प्राचीनकाल में हिन्दू धर्मो के आधार पर श्रापों कि बहुत अधिक मान्यता थी। अगर कोई किसी को श्राप दे देता तो उसका असर भी उस व्यक्ति पर होता था। आज हम आपको ऐसे ही श्रापों के बारे में बात कर रहे है जो आज भी कायम है। जिसके कारण इन श्रापों को आज भी याद किया जाता है।आप भी इन श्रापों के बारे में जान लीजिये।
महाभारत में कर्ण के वध के बाद युधिष्ठिर ने शोक में आकर (दुखी होकर) पूरी स्त्री जाती को श्राप दिया था कि वे कोई भी बात हो किसी से छिपा नहीं पाएंगी और यह श्राप आज भी कायम है।
महाभारत में युद्ध के बाद गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि जिस प्रकार पांडव और कौरव आपसी फूट के कारण नष्ट हुए थे ठीक उसी प्रकार आज से छत्तीसवें वर्ष तुम भी अपने बंधू-बंधवो का वध करोगे।
किसी भी शुभ कार्य में या देवी देवता की पूजा से पहले गणेश जी को पूजा जाता है, लेकिन आपको बता दे की तुलसी ने भगवान गणेश को श्राप दिया था कि उनका विवाह उनके इच्छा अनुसार नहीं होगा।
